वज़ू का हुक्म

तर्जुमा: ऐ ईमान वालों! जब तुम नमाज पढ़ने का इरादा करो तो अपना मुंह और दोनों हाथ कोहनियों समेत धो लो, और सर का मसह करो, और टेक्नो तक दोनों पांव धो लो,

रसूले अकरम सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:

“لا یَقْبَلُ اللّٰہُ صَلوٰۃَ أحدِکُمْ إذا أحْدَثَ حَتّٰی یَتَوَضّأ

तर्जुमा: अल्लाह अकबर अल्लाह तुमने से उसे शख्स की नमाज़ कबूल करता है जो बावज़ू हो-

वज़ू के माना डिक्शनरी वगैरह में ढूंढोगे तो आपको मिलेगा पाकीज़ग़ीऔर खुशबू

और वजू को शरीयत मैं पानी से हासिल होने वाली उस पाकी को कहते हैं जो चेहरा, दोनों हाथ, दोनों पांव और सर के कुछ हिस्से पर मसा करने से हासिल हो,

नमाज़ बग़ैर वज़ू के दुरुस्त नहीं होती और बिना वज़ू के क़ुरान शरीफ़ का छूना जायज़ नहीं जो शख्स वज़ू का एहतमाम करे वह सवाब का हक़दार होगा और आखिरत में उसके दार्जे बुलंद होंगे!

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