Elementor #206

नमाज़ और उसकी अहमियत

एक अध्यापक अपने विद्यार्थियों को नमाज़ की अहमियत बता रहे हैं

नमाज़ के एहतमाम के सिलसिले में कुरान व हदीस में जितनी ताकीद आई है उतनी ताकीद किसी दूसरे अमल के सिलसिले में नहीं आई है, क्योंकि अल्लाह ताला ने नमाज के अंदर गैर मामूली कमालात रखे हैं, अगर कोई भी शख्स नमाज की वैसी पाबंदी कर ले जैसा कि उसका हुक्म है तो उसके अंदर वह सारे कमालात जिनका अल्लाह रब्बुल इज्जत ने वादा फरमाया है वह खुद ब खुद पैदा होना शुरू हो जाएंगे,

इसलिए की नमाज ईमान वालों को मेराज में मिला हुआ एक तोहफा है जो साहिबे नमाज को मेराज अता करता है, अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम चूंकि अल्लाह के महबूब और लाडले हैं अल्लाह ने आपको अपने पास बुलाया और नमाज का तोहफा अता फरमाया और क्योंकि आप सारे दर्जात पर फाएज़ हैं इसलिए आपको दर्जात तय करने की जरूरत नहीं थी बल्कि अल्लाह ने आपके सारे दर्जात तय करवा दिए थे,

एक आदमी मुसल्ले पर बैठा हुआ नमाज के मुतालिक सोच रहा है

अल्लाह ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बुलंद मुकाम अता फरमाया था, लेकिन आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्मत को अल्लाह ने यह आसानी अता फरमाई है कि अगर वह भी उन दरजात पर फाएज होना चाहती है तो कुछ अमल करने होंगे | 

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